चंद्रयान 3 – सफल लैंडिंग : चलो अब चांद के पार चलो …

“चंद्रयान 3” : कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.. भारत ने आख़िरकार चाँद पर हस्ताक्षर कर दिए.

“क्या बच्चे, क्या जवान, क्या वैज्ञानिक, क्या बुजुर्ग, भारत की 140 करोड़ अवाम की हर धड़कन यही बता रही थी, यही दुआ कर रही कि चंद्रयान-3 मिशन सफल हो।”
लीजिए, वो घड़ी आ ही गई, जिसका हम सभी को इंतज़ार था…  भारतीय समय के अनुसार, शाम के 6 बजकर 4 मिनट पर भारत के “चंद्रयान 3” ने आख़िरकार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर, सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही इतिहास रच दिया। इस कामयाबी के बाद चाँद पर उतरने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया, जबकि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर उतरने वाला दुनिया का प्रथम देश बन गया।

“चंद्रयान 3” भारत के महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशनों में से एक है जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर पहुँचकर उसकी सतह की अनुसंधान करना और विशेष रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपने हस्ताक्षर छोड़ना है। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, और इसके साथ ही यह दुनिया में पहला ऐसा मिशन बनता है जिसमें एक देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक पहुँचा है। इस लेख में हम “चंद्रयान 3” मिशन की योजना, महत्व, विवरण, तैयारी, सफलता, और भविष्य की उम्मीदों पर चर्चा करेंगे।

भारत का “चंद्रयान 3” अंतरिक्ष में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का एक उच्च-आकांक्षी प्रयास है। 2003 में, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने स्वतंत्रता दिवस पर चांद से जुड़े मिशन का संकल्प लिया। 2008 में, ISRO ने चंद्रयान-1 को प्रक्षेपित किया, जो भारत का पहला डीप स्पेस मिशन था। 2019 में, चंद्रयान-2 को प्रक्षेपित किया गया, जो सॉफ्ट-लैंडिंग करने की कोशिश में विफल हुआ। 2023 में, 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को प्रक्षेपित किया गया, जो भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है।

चंद्रयान-3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO: Indian Space Research Organisation) द्वारा निर्मित तीसरा चंद्र एक्स्प्लोर मिशन है। भारत का बहुप्रतीक्षित चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2.35 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफ़लतापूर्वक लॉन्च हुआ था । इसरो के अनुसार चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग बिल्कुल योजना के मुताबिक हुई है। इससे पूर्व भारत दो मून मिशन चंद्रयान-1 (22 अक्टूबर 2008 – 28 अगस्त 2009) और चंद्रयान-2 (22 जुलाई 2019) अंतरिक्ष में भेज चुका है।

चंद्रयान-3 चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा लॉन्च के साथ शुरू करते हुए : Credit : gettyimages

 

इसमें चंद्रयान 2 के समान एक लैंडर और एक रोवर शामिल होगा, लेकिन इस बार इसमें ऑर्बिटर नहीं है । इसका प्रोपल्शन मॉड्यूल संचार रिले उपग्रह की तरह व्यवहार करेगा। गौरतलब है कि लैंडर और रोवर को एक चंद्र दिन (one lunar day) की अवधि या 14 पृथ्वी दिनों (14 Earth days) तक संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

चंद्रयान 3 मिशन को वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टि से ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इसमें उन्नत संचार तंत्र, ऊर्जा प्रबंधन, और उच्च क्षमता के बैटरी शामिल हैं। चंद्रयान-3 का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास ऊंचे इलाकों में एक लैंडर और रोवर को स्थापित करना है और वहां से चाँद की सतह और कक्षा (ऑर्बिट) से कई वैज्ञानिक मेज़रमेंट (माप), वैज्ञानिक डेटा और सूचना भेजना है। इसके साथ ही, प्रग्यान रोवर चंद्रमा की सतह पर आगे बढ़कर वैज्ञानिक अध्ययन का कार्य करेगा। यह रोवर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर की सतह के तत्वों, रेगोलिथ (चंद्रमा की सतह की पत्थरी खाद) और अन्य विशेषताओं का अध्ययन करेगा। इससे हमें कुछ महत्वपूर्ण बातें पता चलेंगी, जैसे कि चंद्रमा के सतह की संरचना, पानी की उपस्थिति, गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव और वायुमंडल की स्थिति

चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 के बाद का अगला मिशन है, जो चन्द्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने की संपूर्ण क्षमता प्रदर्शित करने में समर्थ है । इसमें लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन शामिल है। इसमें एक लैंडर/रोवर और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल शामिल है। लैंडर/रोवर चंद्रयान 2 के विक्रम रोवर के समान है, जिसमें सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने में मदद के लिए सुधार किए गए हैं

चंद्रयान 3 का लैंडर, विक्रम :

विक्रम नाम से चंद्रयान 3 का लैंडर है, यह लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और रोवर को छोड़ेगा. जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करना है. विक्रम लैंडर का वजन 1700 किलोग्राम है और इसकी लंबाई 4.5 मीटर है। इसके चार पैर हैं जो इसे चंद्रमा की सतह पर उतरने में मदद करेंगे.

 चंद्रयान 3 का रोवर प्रज्ञान :

चंद्रयान 3 का रोवर का नाम प्रज्ञान है। प्रज्ञान लैंडर से अलग होकर चंद्रमा की सतह पर चलने का काम करेगा और वैज्ञानिक प्रयोगों का आयोजन करेगा। प्रज्ञान का वजन 27 किलोग्राम है और यह 6.5 मीटर लंबा है। इसमें 6 पहिए हैं जो इसे चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित रूप से चलने में सहायक होंगे।

रोवर में निम्नलिखित वैज्ञानिक उपकरण स्थापित हैं :
  • एक मल्टी-स्पेक्ट्रम कैमरा, जो चंद्रमा की सतह और उसके वातावरण की अध्ययन करेगा
  • एक लेजर रडार, जो चंद्रमा की सतह की संरचना की जाँच करेगा
  • एक एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर, जो चंद्रमा की सतह पर मौजूद खनिजों का पता लगाने में मदद करेगा
  • एक चुंबकीय मापी, जो चंद्रमा के चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करेगा
  • एक कण संसूचक, जो चंद्रमा के वायुमंडल में मौजूद कणों की जाँच करेगा

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चंद्रयान-3 मिशन की प्रमुख लक्ष्यस्थिति है चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग की कल्पना को वास्तविकता में परिवर्तित करना। इसके साथ ही, मिशन का उद्देश्य है चंद्रमा पर रोवर के साहसी चलने का प्रदर्शन करना और चंद्रमा की सतह पर ही वैज्ञानिक प्रयोगों का आयोजन करना। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए, मिशन ने लैंडर में कई उन्नत प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया है, जैसे कि लेजर और आरएफ-आधारित अल्टीमीटर, वेलोसीमीटर, प्रोपल्शन सिस्टम, और अन्य। इन उन्नत तकनीकों को पृथ्वी की मानवता के लिए सहायक स्थितियों में सफलतापूर्वक उपयोगिता प्रदर्शित करने के लिए, विशेष लैंडर परीक्षण योजनाएं आयोजित की गई हैं, जैसे कि इंटीग्रेटेड कोल्ड टेस्ट, इंटीग्रेटेड हॉट टेस्ट, और लैंडर लेग मैकेनिज्म प्रदर्शन परीक्षण। इन सभी प्रयासों के साथ, मिशन ने अपने उद्देश्यों को साकार करने में सफलता प्राप्त की है।

चंद्रयान-3 के माध्यम से, भारत ने अपनी प्रगति को एक नई दिशा देने का संकेत दिया है। यह मिशन न केवल वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन है, बल्कि यह एक पूरे देश की ऊर्जा और उत्साह की कहानी भी है। इससे भारत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष समुदाय में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को मजबूती से साबित कर सकता है। इसके साथ ही, यह मिशन आने वाली पीढ़ियों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में अपने आत्मसमर्पण की मिसाल प्रस्तुत करेगा, और उन्हें नए सपनों की ओर अग्रसर करेगा।”

“चंद्रयान-3 मिशन की अपनी सारी उपलब्धियों के साथ-साथ एक और बड़ी उपलब्धि ये भी है कि इस मिशन के द्वारा हर भारतीय, चाहे वो भारत में रह रहा हो या विदेश में, चाहे वो कोई क्षेत्र, भाषा, जाति, समुदाय, संस्कृति से आता हो, सब एक हुए और सबने अपने-अपने तरीके से प्रार्थना की, दुआ की इस मिशन की सफलता की और वो सफल हुआ।”

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चंद्रयान मिशन से जुड़े सामान्य प्रश्न: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q: चंद्रयान-1 किस दिन लॉन्च हुआ था ?

A: 22 अक्टूबर 2008 को, चंद्रयान-1 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा, भारत से लॉन्च किया गया था।

 Q: चंद्रयान-2 मिशन का लॉन्च किस दिन हुआ था ?

A: 22 जुलाई 2019 को। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया था।

 Q: चंद्रयान-2 के साथ क्या घटित हुआ था ?

A: 2019 में, चंद्रयान-2 ने विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक लैंड करने का प्रयास किया, जिससे विश्व में उसके प्रति ध्यान आया। हालांकि, कुछ समस्याओं के बावजूद, यह मिशन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में महत्वपूर्ण साबित हुआ है।

 Q: चंद्रयान-3 का लॉन्च कब हुआ था ?

A: चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे (शुक्रवार) को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया है।

 Q: चंद्रयान-3 मिशन क्या है ?

A: चंद्रयान-3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का तीसरा चंद्रमा आधारित मिशन है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर एक लैंडर और एक रोवर को ले जाकर उन्हें वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए संचालित करना है।

 Q: चंद्रयान-3 का निर्माण किसने किया ?

A: चंद्रयान-3 का निर्माण और विकास भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा किया गया है।

 Q: चंद्रयान-3 के उद्देश्य क्या हैं ?

A: चंद्रयान-3 के उद्देश्य में सफल लैंडिंग, चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग, और चंद्रमा की गुणधर्म और संरचना का अध्ययन शामिल है। सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना चंद्रमा की सतह पर, चंद्रमा पर रोवर का संचालन करना, चंद्रमा पर ऑन-साइट प्रयोगों का संचालन करना।

 Q: चंद्रयान-3 का बजट क्या है?

A: चंद्रयान-3 का आकलनित बजट 615 करोड़ रुपये है, जो उसे अन्य प्रमुख अंतरिक्ष मिशनों की तुलना में अधिक बना।Top of Form

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